आचार्य चाणक्य ने ना केवल अर्थशास्त्र, बल्कि जीवन से संबंधित हर पहलु को लेकर काफी गूढ़ नीतियों का विस्तार से वर्णन अपने शास्त्रों में किया है। जो आज भी उतने ही कारगर हैं, जितने पहले हुआ करते थे। इनसे आप न केवल खुशहाल जीवन पा सकते हैं, बल्कि हर क्षेत्र में अपार सफलता आपके कदम चूमेगी। चलिए आज जानें ऐसे ही कुछ गुण, जिनको अपनाने से असफलता को भी सफलता में बदला जा सकता है ।
जो आत्मविश्वास से भरा हो
हर व्यक्ति में आत्मविश्वास होना चाहिए। ऐसे तभी दूसरे लोग आप पर किसी काम को लेकर भरोसा जता पाएंगे, जब आपको खुद में उसे पूरा कर लेना का विश्वास होगा। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है उनके लिए कठिन से कठिन परिस्थितियां भी सामान्य के समान रहती हैं। इस तरह आत्मविश्वास से भरपूर लोग, किसी भी काम में कभी असफल नहीं होते हैं।
जो मेहनती हो
आपके जीवन में कई बार ऐसा दौर भी आ सकता है जब आपको लगे कि आपकी मेहनत के बदले आपको कम फल मिला है। मगर इस बात से भी कोई इंकार नहीं कर सकता है कि सच्चे मन से की गई मेहनत एक न एक दिन अवश्य रंग लाती है। इस कारण से जीवन में मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। आखिर कड़ी मेहनत ही तो सफलता का मूलमंत्र है। चाणक्य भी कहते हैं कि आपकी मेहनत भले ही कुछ देर के लिए अनदेखी की जाए, मगर मेहनत का कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है।
ज्ञान ही असली पूंजी
आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति का ज्ञान ही उसकी असल पूंजी है। आपका धन कोई भले ही आपसे चुरा ले जाए, ज्ञान कोई चुरा नहीं सकता है। इसलिए हर प्रकार का अर्जित ज्ञान आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। ऐसे गुणों वाला व्यक्ति कभी असफल नहीं हो सकता है। उसे किसी न किसी दिन अपने अनुभव का प्रतिफल मिलता ही है।
जो धन संचय करे
इस बारे में चाणक्य का मानना है कि हर सफल व्यक्ति अपनी जमापूंजी का कुछ हिस्सा ही खर्च करता है। ऐसे वे जीवन में हर अच्छे-बुरे समय के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। जीवन में कब आपको पैसों की जरूरत आन पड़े कोई नहीं जानता है। इसलिए जीवन में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के पास हमेशा कुछ धन जमा रहना चाहिए। ताकि बुरे समय में वह धन काम आए और आपको किसी से मांगने की आवश्यकता न पड़े।
जो सतर्क रहे
अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो आपका सदैव सतर्क रहना अतिआवश्यक है। आप जहां कभी भी काम करें आपके कान, आंख और दिमाग खुले यानी आप चौकन्ना रहने चाहिए। इसके पीछे चाणक्य का यह तर्क है कि जो व्यक्ति हमेशा अपने आसपास के वातावरण को लेकर सतर्क व सचेत रहता है, उसे कभी कोई पराजित नहीं कर सकता है।