भारत में जब किसी लड़की की शादी होती है तो उसके पिता को लड़के वालों को खूब सारा दहेज देना पड़ता है। अगर लड़का या उसका परिवार इसके लिए मना भी कर दे तो भी पिता अपनी बेटी को खाली हाथ नहीं लौटाता है।
ऐसी ही कहानी है उडीसा के केद्रापाडा गांव के एक स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक सरोजकांता बिस्वाल की । उन्होंने लड़की वालों से दहेज लेने से इनकार कर दिया और इसके बदले कुछ ऐसा मांगा जिसे सुनकर सभी हैरान रह गए।
दहेज में सरोजकांता ने अपने ससुर से 1001 पौधे लगाने की मांग की और लड़की के पिता ने भी इस मांग को स्वीकार करने में एक क्षण का समय भी नहीं लगाया।
कौन है सरोजकांता बिस्वाल?
32 वर्षीय सरोजकांता जगन्नाथ गांव के ही विद्यापीठ स्कूल में विज्ञान के शिक्षक हैं। वो एक समाज सेवक भी हैं जिनका बचपन से ही ‘ग्रीन वेडिंग’ का सपना था। समाज के रिवाज़ लड़की के पिता ने सरोजकांता से पूछा कि उन्हें दहेज में क्या चाहिए तो सरोजकांता ने जवाब दिया कि वो दहेज के लेन-देन को नहीं मानते हैं।
दहेज़ में मांगने का दबाव डाला गया तो मांग लिए 1001 पौधे
लेकिन लड़की के पिता ने दबाव डाला और कहा कि शादी में दूल्हे को लड़की वालों की तरफ से कुछ ना कुछ दिया ही जाता है और बेटी और दामाद को खाली हाथ विदा करने का रिवाज़ नहीं है। उसकी मांग ने लड़की के परिवार को हैरान कर दिया चूंकि, सरोजकांता को दहेज में कुछ ना कुछ तो मांगना ही था इसलिए उसने फैसला किया कि वो अपने ससुर से दहेज में 1001 पौधे मांगेंगें।
उनकी इस अनोखी मांग को देखकर शादी में आए मेहमान भी हैरान रह गए।
ड्रीम वेडिंग का आइडिया सरोजकांता ने खुद से वादा किया था कि वो कभी दहेज नहीं लेंगें। वो हमेशा यही पढ़ाते हैं कि दहेज लेना कानूनी जुर्म है और वो खुद भी इसी बात पर विश्वास करते हैं। इस अनोखे दहेज की मांग हुई पूरी शादी से एक दिन पहले सरोजकांता के ससुर ने 1001 पौधों को एक वैन में रखकर उनके घर भेज दिया।
700 आम के और 300 बकुल के पौधे
बिस्वाल और उनकी पत्नी रश्मि ने 700 आम और बकुल के पौधों को गांव वालों में बांट दिया। रश्मि खुद भी पेशे से टीचर है। बाी जो 300 पौधे बचे थे उसे उन्होंने अपने रिसेप्शन में आए मेहमानों को दे दिए। ग्रीन वेडिंग इस ग्रीन वेडिंग पर परिवार वालों ने पटाखे ना जलाने का फैसला किया।
विकास परिषद् के सदस्य हैं
यहां तक कि शादी में डीजे वगैरह भी नहीं बजाया गया। दिलचस्प है दूल्हाँ बिस्वाल ‘विकास परिषद’ के सक्रिय सदस्य हैं। विकास परिषद एक संस्था है जोकि पर्यावरण को बचाने के लिए काम करती है। इस संस्था का उद्देश्य ‘गच्छा जी पाई साथी तिवे’ है जिसका मतलब होता है हर एक पेड़ के लिए एक दोस्त होना चाहिए।